Archana Tiwary

Add To collaction

लिखती हूँ

जो तुम ज़माने से छिपाते हो

वो जज्बात मैं लिखती हूँ....
अक्षरों में अपने अहसास 
परोस देती हूँ.....
चमन में खिले फूलों के
सौगात लिख देती हूँ.....
कोशिश करती हूँलिख दू 
सितारों की बातें गुपचुप....
या लिख दू पंछियों की
चहचहाहट की भाषा.....
या वो अनकही बातें
पढ़ती हूँ तेरे आँखों में कभी.....
यादों से आती आवाज़ें
शोर मचाती है कुछ ऐसा.....
लिख पन्नों पर उसे
तसल्ली कर लेती हूँ......
मन ही मन खुश होकर कभी
लिखती हूँ   ख्वाइशें अधूरी....
कभी चाहते जो थी
मन में दबी दबी...
अर्चना तिवारी
बरोडा,गुजरात




   7
0 Comments